प्रयागराज उत्तर प्रदेश का एक बहुत ही प्रसिद्ध जिला है जिसे प्रयाग के नाम से भी जाना जाता है। प्रयागराज में ही तीन पवित्र नदियों गंगा, यमुना एवं सरस्वती का संगम होता है, जो हिन्दू पुराणों के अनुसार बहुत ही पवित्र माना जाता है। प्रदेश में इस शहर की जनसंख्या काफी अधिक है पर फिर भी प्रदेश की सबसे तीव्र गति से विकासशील शहरों में ये तीसरे नंबर पर है। क्योंकि अभी तक भारत के 15 में से सात प्रधानमंत्री इसी शहर से हुए हैं इसलिए इसे ‘भारत के प्रधानमंत्री की राजधानी’ भी कहा जाने लगा है। इसके अतिरिक्त यहां पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय भी स्थित है जहां से पूरे उत्तर प्रदेश के सभी संबंधित न्यायिक कार्य होते हैं। वर्ष 1869 में इस न्यायालय की स्थापना की गई थी जो कि भारत के किसी प्रदेश का प्रथम उच्च न्यायालय था। इसके अतिरिक्त प्रयागराज को उसकी शिक्षा प्रणाली, संस्कृति एवं पर्यटन के लिए भी विश्व भर में जाना जाता है।
प्रयागराज एक विशिष्ट शिक्षा प्रणाली को अपनाता है जिसे बोर्ड शिक्षा पर भी लागू किया जाता है। प्रयागराज में दो सबसे बड़े शिक्षा निकायों का मुख्यालय है जिनमें उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश एवं हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट शिक्षा बोर्ड उत्तर प्रदेश सम्मिलित हैं। इन दो शिक्षा प्रणालियों के अतिरिक्त प्रयागराज में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय, तीन मानद विश्वविद्यालय एवं एक स्वतंत्र विश्वविद्यालय भी स्थित है।
इसके अतिरिक्त प्रयागराज को उसकी संस्कृति एवं पर्यटन योग्यता के लिए भी जाना जाता है। निसंदेह प्रयागराज को उसके साहित्यिक एवं कलात्मक विरासत और कारीगरी के लिए तो जाना ही जाता है, लेकिन इसे "उत्तर प्रदेश की साहित्यिक राजधानी" की तरह भी जाना जाता है। वर्ष 1900 में भारत की प्रथम हिन्दी मासिक पत्रिका ‘सरस्वती’ चिंतामणि घोष द्वारा शुरु की गई थी। 1903-1920 तक बहुत से आधुनिक हिन्दी साहित्य के दिग्गज इसके संपादकों की सूची में शामिल हैं। प्रयागराज में ही वर्ष 1930 में आनन्द भवन का भी निर्माण हुआ था जो बाद में नहेरू परिवार का नया घर बन गया था। 19वीं एवं 20वीं शताब्दी के दौरान लेखिका महादेवी वर्मा एवं लेखक सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' व हरिवंश राय बच्चन द्वारा हिन्दी साहित्य का प्रारूप बदल दिया गया, इन सभी लेखकों का जन्मस्थल प्रयागराज ही रहा है। अपनी लेखकी द्वारा इन लेखकों ने हिन्दी साहित्य में अपना बहुत बड़ा योगदान दिया है, जिसके लिए दुनिया सदा इनकी आभारी रहेगी। हिन्दी साहित्य के अतिरिक्त प्रयागराज में फारसी एवं उर्दू साहित्य का भी अध्ययन किया गया है। अकबर इलाहाबादी एक प्रसिद्ध उर्द कवि थें, इनके अलावा नूर नरवी, तेग इलाहाबादी, शबनम नकवी एवं रशीद इलाहाबादी भी प्रयागराज में ही पैदा हुए थें।
प्रयागराज में साहित्य एवं अन्य खूबियों के अतिरिक्त अपने पर्यटन एवं त्यौहारों के लिए भी विश्व भर में प्रसिद्ध है। निःसंदेह विश्व भर में प्रसिद्ध कुंभ मेला भी इसी शहर की देन है, जो पर्यटकों का एक बहुत बड़ा आकर्षण का केंद्र है। कुंभ मेले के अतिरिक्त प्रयागराज में और भी बहुत से पर्यटन स्थल जैसे एलफ्रेड पार्क, द विक्टोरिया एण्ड थॉर्नहिल मेन मेमोरियल, मिंटो पार्क, प्रयागराज किला, अशोक स्तंभ एवं खुसरो बाग भी प्रयागराज की देन हैं। इसिलिए प्रयागराज को उसके उत्तम साहित्य, कला एवं संस्कृति की अद्भुत मिश्रण के लिए जाना जाता है।